ऐसा कहते है कि सफलता किसी उम्र की मोहताज नहीं होती है। अपने हौसले के दम पर कुछ करने का जुनून होना चाहिए।
ऐसा ही कुछ कर दिखाया है बाड़मेर के महाबार निवासी केवलाराम मेघवाल ने। 15 साल की छोटी सी उम्र में हस्तशिल्प कला का कार्य शुरू किया।
लगभग 15 साल तक अन्य कंपनियों में 25000रु की नौकरियां करने के बाद उन्होंने एक बड़ा कदम उठाया वर्ष 2017 में महिला स्वयं सहायता समूह के साथ हाथों के हुनर का काम शुरू किया।
शुरुआत में केवलाराम ने बाड़मेर के छोटे-छोटे गांवों में जाकर महिलाओं के समूह बनाए और उन्हें रोज़गार के लिए प्रेरित किया।
केवलाराम बताते हैं कि कंपनी को शुरू किए हुए लगभग 5 साल हो गए हैं और सालाना टर्नओवर करीब 50 लाख रुपये हो चुका है।
महिलाओ को इस काम से जोड़ने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए 40 दिन की ट्रेनिंग दी जाती है।
उसके बाद कार्ड बनाया जाता है। कार्ड मिलने के बाद कोई भी महिला स्वरोज़गार शुरू कर सकती है।
केवलराम मेघवाल 30 हजार से अधिक महिलाओं के आर्टीजन कार्ड बनाने का रिकॉर्ड कायम कर चुके हैं।
इसके अलावा बाड़मेर जिले के 05 ब्लॉक में 200 से अधिक महिलाओ को सिलाई के लिए सिलाई मशीन भी दे चुके है।
सुआ देवी बताती हैं कि पहले सिर्फ घर का काम ही करते थे।
लेकिन जबसे हाथों के इस हुनर से रूबरू हुए हैं तबसे न केवल आमदनी हो रही है बल्कि लोगों के बीच पहचान भी मिली है।
केवलाराम बताते हैं कि हज़ारों महिलाओ को जोधपुर, जयपुर, दिल्ली और मुंबई तक मंच प्रदान कर चुके हैं।